Om Shankar Pandey
(Vinay Pandey)
AdvocateHigh Court of M.P.
Notice : विवाद और ग़ुस्सा से शुभता चली जाती है ।
Anchan Pandey
Advocate
Supreme Court & High Court of M.P.
Om Shankar Pandey
(Vinay Pandey)
Advocate
Anchan Pandey
Advocate
Supreme Court & High Court of M.P.न निंदा का भय , न प्रशंसा का मोह, न कोई अपना न पराया, किसी से कुछ लेना न देना, अपितु चलते चले जाना है उस उद्देश की पूर्ति हेतु , जिसके लिए हमारा जन्म हुआ है i ॐ नमः शिवाय
Legal Section
Shri Om Shankar Pandey Advocate enrolled as an advocate before state bar Counsil of MP, practicing in different court of District Jabalpur as well as other district s of MP Since February 2005 which is around more than 19 year s has been completed, mr Om Shankar Pandey is very good in criminal trial, he knows well how deals with the witness and produce truth before court, because court room is just like a operation threatre, Shri Pandey is having good team of advocates in Jabalpur as well as entire in Madhya Pradesh whereas he is very good in best advocate of Madhyapradesh High court dealing into the case of CBI, Lokayukta, Police, whereas series of criminal trail he has handling and in mostly non of the cases he has been defeated, and what important is not only in criminal matter but also he deals writ petition, criminal appeal, criminal revision, service matter, Family Matter company matters, labour law, banking before High Court Of MP in which few famous cases which he deals like in case of CBI v/s Branch Manger of Canara Bank, against HDFC bank HDB Bank, ICICI bank. hence ultimate Om Shankar Vinay Pandey
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हमारी आपकी उत्पत्ति ईश्वर से हुई है। और हम ईश्वर के आदेश है और जिस उददेश्य की पूर्ति हेतु हमारा जन्म हुआ है उसे हमे धर्म व विधि अनुसार पुरा करना है। चूंकि संसार-सागर में हमे अपने मुकाम तक पहुॅचने के लिए नाना प्रकार के कष्ट का भोग करना पड़ता है और कष्ट भोग कर हम अपने पुण्य की उत्पत्ति करते है जो मृत्यु के बाद हमे धर्म रूपी पुण्य काम आती है, जो मुक्ति और भक्ति के लिए जरूरी है। हम ईश्वर के नेक बंदे है हमारा धर्म और कर्म देखे जाते है लेकिन यह भी देखा जाए दिन प्रतिदिन हमसे नाना-प्रकार के पाप होते है जिससे जीव को नाना-प्रकार के नर्को का सामना करना पड़ता है। और हमे अपने अंदर झाकना चाहिए कि सत्य क्या है जैसे ईश्वर ही सत्य है और मृत्यु ही सत्य है अपुति माया हमको हर तरफ से घेरे हुई है जिस कारण हम ईश्वर के स्मरण भक्ति -भजन से दूर होते जा रहे है सत्य वही है जो आपको दिखता है जिसकी अनुभुती बिना विचार किए होती है और सभी प्रश्नो का उत्तर हमारे अंदर निहित है, सत्य ही धर्म विधि है इसलिए जीव को चाहिए की जिस उददेश्य की पूर्ति हेतु जन्म हुआ है उसे मन व लगन से माया से बचते हुए पुरा करे अर्थात कर्म के साथ भजन-भक्ति, ग्रंथ व पुराण का अनुसरण करे। आपका कल्याण हो।
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